Tuesday, October 19, 2010

हे राम तुम्हे अब आना होगा

हे राम तुम्हे अब आना होगा
फिर से शस्त्र उठाना होगा
आज तुम्हारा जन्म संदिग्ध है
नहीं अछूता जन्मस्थान ,सेतुबंध है
नर -पिशाच संग हुआ अनुबंध है
हिंद राज बना मदांध है ।
तेरे नाम से इनकी निरपेक्षता
इन्हें दिलाती सुख सुविधा सत्ता
नर -मुंडों को कौन है गिनता
नहीं इन्हें जनमानस चिंता ।
अवध ,साकेत ,जनकपुरी प्रभृति
रामराज ,मर्यादा ,वो देव संस्कृति
न्याय ,नीति और मैत्री संस्तुति
एक -एक कर ताज रहे ,वो सारी स्मृति ।
गाँधी ने बगिया में शूल उगाये
लाशो पर जवाहर सत्ता में आये
धर्म -निरपेक्षता ,आरक्षण के साये
लोकतंत्र को निगल रहे ,मुंह बाये ।
देश नहीं पंथ -मजहब आगे है
देशप्रेम के हुए ढीले धागे हैं
आतंक और देशद्रोह को मिलता प्रश्रय
बलिदानी बने दी न अभागे हैं ।

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