अब तो नींद से जागो
खड़ा हिमालय सीना ताने
कहता हमसे ,अब तो नींद से जागो
देव भूमी के अमृत पुत्रों
भय से अब न भागो ।
याद करो अपने पुरखों को
स्वर्ग जिताने जो आए
उनके ही वंश में फिर
देखो भगवान स्वंयम आए ।
रही मनुज में पाशविकता
यह सनातन सत्य सही
पर मर्यादा लांघे जब
प्रकृति करती सहन नहीं ।
असुरों का तांडव हो
या फिर बल का अभिमान
कहाँ टिका काल के आगे
राक्षस रावन का गुमान ।
असुरों की लंका को फिर
अपना शौर्य दिखाना है
बच्चा बच्चा राम बने
घर घर अलख जगाना है ।
भय कैसा,सत्य के राही
फिर महाभारत रचादों
मांग रही शोणित धरा
तन मन भेंट चढ़ा दो ।
प्रताप शिवा और प्रथ्वीराज की
विरासत में अपना नाम लिखा दो
महाकाल बन टूट पदों
देवों की भाषा सिखला दो ।
रन में तुमसे ना कोई जीता
काल साक्षी ,गवाह रहा इतिहास
फिर क्लीवता कैसी
क्यों दोल रहा विश्वास ।
उठो ,जागो ,प्रलय का तूफान उठा दो
धरा ,गगन और दिक्दिगंत में
शौर्य परचम को फहरा दो
माँ का कर्ज चुका दो
अपना फर्ज निभा दो
अब तो नींद से जागो ।
8 comments:
वीर रस से पूरित बहुत ही सुन्दर रचना लिखी आपने.
बधाई स्वीकार करें
बहुत अच्छी कविता। हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत । खूब लिखे। अच्छा लिखे। हजारों शुभकांमनांए।
कृपया वर्ड सैटिंग में जाकर वर्ड वैरिफकिशन हटा दें। यह टिप्पणी करने में परेशानी पैदा करता है।
bahut he acchi kavita rahi aapki..
आपके जोश का नए साल के की शुभकामनाओं के साथ स्वागत।
प्रताप शिवा और प्रथ्वीराज की,
विरासत में अपना नाम लिखा दो।
महाकाल बन टूट पड़ो,
देवों की भाषा सिखला दो ।
बढ़िया कविता है बिजय जी। प्रेरक व उत्साहित करने वाली रचना। बधाई स्वीकारें।
akhandit josh
नव वर्ष मंगल मय हो
आपका सहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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